गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

हिन्दी में गुणवतापूर्ण लेखन को पुरस्कार की घोषणा

हिन्दी में नेट पर गुणवतापूर्ण लेखन को पुरस्कार की घोषणा
 
Google Google और LiveHindustan.com ने गत दिनों  नेट पर गुणवत्तापूर्ण लेखन को बढ़ावा देने के लिए  पुरस्कारों की घोषणा की है क्योंकि गूगल को हिन्दी में अच्छा कंटेंट न होने की शिकायत है| और अच्छे लेखन को प्रश्रय देने / बढ़ावा देने के प्रयोजन से इन पुरस्कारों का आयोजन किया जा रहा है|  जब मैंने कल यह समाचार पढ़ा व कई परिचितों को अग्रेषित किया तो उद्देश्य था कि किसी न किसी प्रकार नेट पर हिन्दी के समग्र लेखन को सहेजने व सुरक्षित रखने की दिशा में कोई न कोई थोड़ा बहुत यत्न ही सही, कुछ करें अवश्य ; अन्यथा ऐसी भाषा के प्रयोक्ताओं के कारण पूरे भाषासमाज व उस भाषासमाज के अवदान की गलत छवि बनती है |  (समाज-भाषाविज्ञान में `प्रयोक्ता का भाषिकचरित्र और भाषासमाज का इतिहास'  जैसे विषय की अवधारणा मानो मन में जन्म ले रही है )| 

 तिस पर इसी बहाने हिन्दी लेखन, नेट पर हिन्दी सामग्री, उस की गुणवता, पुरस्कारों की धक्कमपेल (राजनीति / बल्कि छद्म) अदि कई विषय एक साथ गड्ड मड्ड  हो रहे हैं | मेरा कहना यह नहीं है कि इस आयोजन के भागीदार न बनें| बनें| अवश्य बनें| किन्तु इस विचार के साथ चलते हुए बनें कि -





१) अन्य भाषाओं विशेषतः अंग्रेजी, फ्रेंच व जर्मन से आनुपातिकता की दृष्टि से हिन्दी में गंभीर सामग्री की नेट पर विद्यमानता के सन्दर्भ में इस आकलन से बहुधा सहमत हूँ. 


२) गत एक वर्ष में हिन्दी की नेट पर स्थिति कुछ  बदली है, कई गंभीर लेखक व उपक्रम इस दिशा में कार्यरत हैं|



३) मेरे विचार से सामग्री की नेट की आनुपातिक कमी का कारण संसाधनों की  कमी अथवा गंभीर लेखकों का संसाधनों के प्रति  कथित दुराव ही  वे कुछ कारण नहीं हैं और न ही उपक्रमों से लोग बेखबर है, अपितु कारण कुछ और भी हैं,  इनमें  -

१)  उपक्रमों व लेखकों, विचारकों के बीच एक `सकारण' की दूरी भी बड़ा कारण है| 


२) तिस पर छपास  की बीमारी के चलते तथाकथित लेखक केवल और केवल अपने लेखन पर ही अपना सारा श्रम, ऊर्जा, धन, समय लगाना चाहते हैं|  मानो आज और उन से पहले भाषा में कभी कोई सार्थक लेखन कर के ही नहीं गया, जिसे सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य हो|  नेट उनके हाथ में एक उस्तरे की मानिंद आ गया है; सो, कहावत तो  पूरी होगी ही|




३) जिस देश में पुरस्कार की राशि अपनी जेब से देकर ( ..आदि जैसे हजारों काले कारनामें कर के )  कुछ ज्ञात /सर्वज्ञात/अल्पज्ञात,   बहुकालिक/अल्पकालिक/टुच्चे/ श्रेष्ठ  आदि सभी प्रकार के  पद, पुरस्कार, प्रकाशन हथियाने की बिसातें  बिछती हैं  वहाँ उस जाति ( हुँह, हिन्दीजाति) से भला क्या और कैसा लेखन सुरक्षित करने की आशा की जाए? इनकी पूरी जाति में तो केवल और केवल वे स्वयं ही महान हुए हैं|


अन्यथा गूगल का पुरस्कार भी तो एक पुरस्कार ही है, इस पुरस्कार के लिए भी बिसातें न बिछ रही होंगी, क्या प्रमाण है? (बस अंतर यह है कि इस पुरस्कार की होड़ में भीड़ कम होगी, क्योंकि केवल नेट प्रयोक्ता ही इस मैराथन में भाग लेंगे) और बिसातें न सही तो छद्म तो अनिवार्य ही होंगे|  प्रदाताओं के पास तक,  नहीं तो पाने की तिकड़म तक |

यह तय है |


पुनश्च : 
अब तक जमा किए लेखों की सूची के लिए यहाँ देखें और निष्कर्ष निकालने में स्वतन्त्र रहें|









7 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

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  2. शायद गूगल के इस प्रयास से हिन्दी का गुणवत्तापूर्ण लेखन विस्तार पाये ।
    आभार सूचना के लिये ।

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  3. सूचना के लिये धन्‍यवाद, शुभकामनाएं!

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  4. Aapka diya link to abhi nahi dekh paayi hun,par aapki baton se poorntah sahmat hun....

    Vastutah maine anubhav kiya hai ki antarjaal par hindi me likhne walon kee jo sankhya hai usme achche/stareey likhne walon ki bahut kami hai...apne hi shahar me dekhti hun to dekhti hun ki yahan jaise likhne wale hain,vartmaan me is star ke likhne waale bahut kam log hi hindi bloging me hain,par chunki we net istemaal nahi karte to unki rachnayen bhi antarjaal par hindi padhnewalon tak nahi pahunch paati....

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  5. हिंदी लेखन की अंतरजाल पर कमी के कारण आपने गिना ही दिए है। वरिष्ट साहित्यकारों के एक पूरी पीढी इस नये माध्यम ए नहीं जुड पाई है और यह भी एक कारण हो सकता है यहां स्तरीयता के अभाव का॥

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  6. एक बेहतरीन आलेख....अभी लिंक देख रहा हूं।

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  7. आपके ब्लॉग पर जब भी आता हूँ तो अगली बार नहीं आने कि कसम लेकर जाता हूँ, मगर अच्छी चीजें पढ़ने के लालच में फी से आना पड़ता है.. समझ में नहीं आता है कि इतना विजेट क्यों लगा रखे हैं आप? मेरे लैपटॉप का स्क्रोल काम नहीं करता है, नीचे मेरा ही आई पी पता, ओएस, ब्राउजर और स्थान दिखाता है जो मुझे पहले से ही पता है.. कहाँ कहाँ से कितने लोग आये हैं यह स्क्रोल होता रहता है, एक पाठक को उससे क्या मतलब.. पेज भी देर से खुलता है..

    इसे अन्यथा ना लें, पेज थोडा हल्का कर दे पाठक अधिक आयेंगे.. :)

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